Tuesday 9 December 2014

जयपुर। आईआईटी-बॉम्बे की स्टूडेंट आस्था अग्रवाल को फेसबुक ने 2 करोड़ रूपए का सालाना सैलेरी पैकेज ऑफर किया है। किसी अंडरग्रेजुएट को दिया गया यह अब तक का सबसे हाइएस्ट सैलेरी पैकेज है। 20 वर्षीय आस्था जयपुर की रहने वाली है और कंप्यूटर साइंस थर्ड-ईयर की स्टूडेंट है। आस्था ने कहा, “मई-जून में कैलिफॉर्निया में जब मैंने फेसबुक के साथ इंटरर्नशिप की थी उन्होंने तब ही मेरा काम देख लिया था और प्री-प्लेसमेंट में मुझे सेलेक्ट कर लिया था। मैं वहां सॉफ्टवेयर डेवलप करती थी और उन्होंने मुझे तब ही जॉब ऑफर कर दिया था। बाद में जब मैंने इसके लिए हामी भरी तो उन्होंने मुझे कंफ र्मेशन लैटर भेज दिया।” गौरतलब है कि इस साल अब तक आईआईटी बॉम्बे के 5 स्टूडेंट्स को कैम्पस प्लेसमेंट के दौरान 1.42 करोड़ रूपए का पैकेज मिल चुका है।



स्कूल से ही टॉपर रही हैं आस्था
  आस्था स्कूल से ही टॉपर रही हैं। स्कूल में नेशनल टैलेंट सर्च एग्जाम (एनटीएसई) में सातवीं स्टेट रैंक हासिल कर हौसला मिला तो आगे बढ़ती गई। इसके बाद 2009 में इंटरनेशनल जूनियर साइंस ओलं पियाड में सिल्वर मैडल हासिल किया और 2011 में एशियन फिजिक्स ओलंपियाड में विनर रहीं तो उंचाईयां छूने लगीं। इसके बाद आईआईटी एंट्रेंस दिया तो ऑल इंडिया रैंक 90 हासिल कर टॉपर बनीं और सबसे उम्दा आईआईटी मुंबई में एडमिशन मिल गया। आस्था आईआईटी की 2011 बैच की स्टूडेंट हैं।

बेटियों में रखें “आस्था”

आस्था के इस अचीवमेंट के बाद माता-पिता फूले नहीं समा रहे हैं। पिता अशोक अग्रवाल राजस्थान विद्युत प्रसारण निगम में अधिशासी अभियंता हैं। मां शोभा अग्रवाल हाउसवाइफ हैं, कहती हैं, लड़कियों को कम मौके मिलते हैं। उन्हें घर के काम भी सीखने होते हैं लेकिन उन पर “आस्था” रखी जाए तो वे आपके विश्वास को टूटने नहीं देते। आस्था का अचीवमेंट उसी का एक उदाहरण है। आस्था का कहना है कि बहन पवित्रा अग्रवाल कैमिकल इंजीनियर हैं। मेरे 95 स्टूडेंट के जूनियर बैच में एक भी लड़की नहीं है लेकिन पवित्रा ने ही आईआईटी का लक्ष्य छूने की राह दिखाई तो यह सफलता आसान हो गई।

एम्पलॉयज से रोज मिलते हैं मार्क

आस्था का कहना है कि फेसबुक में काम, जगह और कल्चर चुनने की फ्रीडम है। आप एक काम छोड़कर दूसरा काम कर सकते हैं, अपनी सीट छोड़कर दूसरी जगह जा सकते हैं, एक ऑफिस छोड़कर दूसरे ऑफिस जा सकते हैं। वहां मल्टीकल्चर ऑफिस में दुनिया के कोने-कोने से लोग मिल जाएंगे। इसलिए ओपनिंग-वैलकमिंग कल्चर में एक्सेप्टेंस भी है। यहां तक कि खुद फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्ग भी वहीं रहते हैं। वे रोज अपने एम्पलॉयज से मिलते हैं। उनके साथ क्वेश्चन-आंसर सैशन करते हैं जहां हर एम्पलॉय को अपनी बात कहने का मौका मिलता है। मुझे भी लंदन और कैलिफोर्निया ऑफिस में से एक चुनने की आजादी दी गई है लेकिन मैं हैडक्वार्टर में काम करना पसंद करूंगी। मुझे “मशीन लर्निग” में इंट्रेस्ट है। जिससे फेसबुक यूजर के बिहेवियर के आधार पर उसका इंटे्रस्ट ऑब्जर्व किया जाता है। मैं उस सेक्शन में काम करना पसंद करूंगी।

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